यह तिथि बन गयी इतिहास की सबसे शांत और बोरिंग दिन
सोचिये एक ऐसा दिन आप को व्यतीत करना पड़े जिस दिन आप को दुनिया से कोई विषेस सूचनाएं ना प्राप्त हो टेलिविज़न खोले लेकिन उसमे कोई ख़ास कार्यक्रम नही हो आप देश-दुनिया के समाचार जानना चाहें लेकिन कोई खबर ना हो तो हो जायगा ना आप का पूरा "दिन बोरिंग"
मित्रो एक ऐसा ही दिन इतिहास में दर्ज है जिसमे यह सब हुआ था वह दिन था - " 11 अप्रैल 1954 "
दोस्तों 11 अप्रैल, 1954 का दिन इतिहास में एक विचित्र वजह से विशेष है
11 अप्रैल 1954 एक विशेष तारीख है, जो कि विशेष इसलिए क्योंकि यह वह दिन था जब कुछ भी " विशेष ' नहीं हुआ था. शोधकर्ता इसे 20वीं सदी का सबसे "बोरिंग" दिन मान रहे हैं. इस दिन कोई विशेष घटनाक्रम नही था
इससे पहले 18 अप्रैल1930 को माना गया था सबसे बोरिंग

इससे पहले "18 अप्रैल 1930" के दिन को सबसे बोरिंग दिन के रूप में चिह्नित किया गया था, क्योंकि उस दिन बीबीसी रेडियो के पास समाचार ही नहीं थे.
बीबीसी दफ्तर में जब चैनल का समाचारवाचक रेडियो पर आया और उसने उद्घोषणा की कि "आज कोई समाचार नहीं है!" तो उस दिन को लोगो ने बोरिंग दिन कि संज्ञा दी
परंतु अब शोधकर्ताओं ने 11 अप्रैल, 1954 को सर्वाधिक बोरिंग दिन के रूप में मान्यता दी है
जानिए कैसे तय किया गया यह दिन
यूं तो हर दिन कोई ना कोई घटना होती ही रहती है. परंतु माना गया है कि 1954 के अप्रैल महिने की 11 तारिख को कुछ भी विशेष नहीं हुआ था. इसके आकड़ो का अध्ययन किया गयाशोधकर्ताओं ने इसके लिए विशेष तरह से तयारी की कुछ विशेष साफ्टवेयर तैयार किये गये जिसमे 30 करोड महत्वपूर्ण घटनाओं को संकलित कर एक विशेष कम्प्यूटर शोध प्रोग्राम "ट्रु नोलेज" में डाला और गणनाएँ की गयी .
यह साफ्टवेयर प्रोग्राम "कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय" के "वीलियम टनस्टाल" के द्वारा विकसित किया गया, इस सोफ्टवेर के माध्यम से पता लगाया गया कि 11 अप्रैल, 1954 को 2-3 छोटी मोटी घटनाओं को छोडकर कुछ भी विशेष नहीं हुआ. इस दिन बैल्जियम में चुनाव हुए थे, तुर्की के एक बुद्धिजीवी का जन्म हुआ था और जैक शफलबोटम नामक फूटबॉल खिलाडी का निधन हुआ था. इसके अलावा इस दिन कुछ नहीं हुआ था .
तो दोस्तों याद रहे अगली बार जब "11 अप्रैल" का दिन आए तो वह दिन सबसे बोरिंग दिन की वर्षगांठ होगा |
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